Saturday, 7 November 2020

Rabindranath Tagore Biography in Hindi - रविन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी

Rabindranath Tagore Biography in Hindi | रविन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी

 

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) कवि ,लेखक , दार्शनिक ,चित्रकार एवं प्रख्यात शिक्षाविद भी थे | उनका जन्म 7 मई 1861 को देवेन्द्रनाथ टैगोर एवं शारदा देवी के यहाँ हुआ | वे अल्पायु से ही कविताये रचने में लगे थे | मात्र 13 वर्ष की आयु में “तत्व बोधिनी” नामक पत्रिका में उनकी अभिलाषा नामक कविता प्रकाशित हुयी | कोलकाता के सेंट जेवियर स्कूल में शिक्षा पाने के बाद वे 1878 में अपने भाई सत्येन्द्रनाथ के साथ इंग्लैंड गये |

1880 में रविन्द्रनाथ (Rabindranath Tagore) अधूरी शिक्षा के साथ भारत लौट आये | 9 दिसम्बर 1883 को उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ | 1884 में वे आदि ब्रह्म समाज के अध्यक्ष नियुक्त किये गये | वे अपने समय के विख्यात लेखको में से थे | 1891 में उन्होंने पोस्टमास्टर सहित छ लघुकथाये लिखी | राजशाही एसोसिएशन के आग्रह पर उन्होंने शिक्षा की पद्धति  की आलोचना “शिक्षेर हेर-फेर” लिखी | उन्होंने मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया | इसी दौरान वे “साधना” के सम्पादक भी बने |

1901 में उन्होंने शांतिनिकेतन में विद्यालय की स्थापना की | उसी वर्ष उन्होंने “बंगदर्शन” का भार सम्भाला एवं अगले पाँच वर्ष तक उसका सम्पादन किया | उन्होंने “चोखेर बाली” एवं “नौका डूबी” जैसे उपन्यास भी लिखे | रविन्द्रनाथ (Rabindranath Tagore) गांधीजी के समर्थको में से थे | उन्होंने 1905 में हुए बंगाल विभाजन का विरोध किया | उस दिन उन्होंने बंगाल में परस्पर एकता की भावना विकसित करने के लिए रक्षाबंधन समारोह का आयोजन किया | 1912 में लन्दन की इंडियन सोसाइटी ने उनकी “गीतांजलि” प्रकाशित की |

अगले ही वर्ष मैकमिलन से गीतांजली , द क्रीसेट मून , द गार्डनर एवं चित्रा के अंग्रेजी संस्करण प्रकाशित हुए | 13 नबम्बर 1913 को उन्हें साहित्य के लिए नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया | दो वर्ष बाद अंग्रेज सरकार ने उन्हें नाईटहुड की उपाधि दी | 1918 में उन्होंने विश्वप्रसिद्ध “विश्वभारती” की नींव रखी | एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किये | भारत की राजनीतिक दशा से वे अप्रसन्न थे | जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में उन्होंने “नाईटहुड” की उपाधि त्याग दी |

विश्वभारती के लिए चंदा एकत्र करने के लिए वे विश्व भ्रमण पर निकले | वे इंग्लैंड ,फ्रांस , स्विटजरलैंड , जर्मनी और USA गये | बाद के वर्षो में वे चित्र भी बनाने लगे | भारत तथा विश्व के अन्य देशो में उनकी कई चित्र प्रदर्शनिया आयोजित की गयी | 1940 में Oxford University ने उन्हें मानद उपाधि प्रदान की | 7 अगस्त 1941 को 80 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया |

Bhagwan Vishnu Biography In Hindi-भगवान् बिष्णु की जीवन कथा

भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की कई लीलाओं के बारे में आपने सुना ही होगा . लेकिन क्या आपने कभी श्रीकृष्ण के गुरु के बारे में सुना है. उनसे जुड़ी कहानियों को पढ़ा है अगर नहीं तो आइएये हम आप लोगो को , जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी वो बातें बतायेगे , जो हैरान करने वाली हैं और  जिनके बारे में आप नहीं जानते है |


1. कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, बनवारी, चक्रधर, देवकीनंदन, हरि, और कन्हैया ये नाम कुछ ज्यादा ही प्रमुख हैं |
2. श्री कृष्ण अपने गुरु संदिपनी को गुरु दक्ष‍िणा देने के लिए श्री कृष्ण ने उनके मृत बेटे को जीवित कर दिया था |
3. श्री कृष्ण की कुल 8 पटरानी और 16108 पत्न‍ियां थीं |
4. देवकी की सातवीं संतान बलराम थे ,आठवीं संतान कृष्ण थे , भगवान ने बाकी छह को भी देवकी से मिलवाया था |
5. श्री कृष्ण से भगवत गीता सबसे पहले अर्जुन ने नहीं, बल्क‍ि हनुमान और संजय ने सुनी थी. हनुमान कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ में सबसे ऊपर सवार थे.
6. लोग ऐसा कहते है कि श्रीकृष्ण के मानव अवतार का अंत एक शिकारी के तीर से हुआ था |
7. शेषनाग के अवतार रोहिणी के पुत्र का नाम बलराम था ।

8. राधा बरसाना की रहने वाली थीं, ऐसा कहानियों में वर्णित है लेकिन नंदगोपाल की यह सखि उनकी हमजोली नहीं बल्कि उम्र में उनसे बड़ी थीं, ऐसा बरसाना वाले कहते हैं।

9. श्री कृष्ण के धनुष का नाम शारंग और अस्त्र का नाम सुदर्शन चक्र था।

10. भगवान श्री कृष्ण की गदा का नाम कौमोदकी और शंख को पांचजन्य कहते थे।

11. बलराम का जन्म अष्टमी के दो दिन पहले अर्थात छठ के दिन मनाया जाता है, जिसे कि 'ललई छठ' के रूप में देश में मनाया जाता है।

Chandra Sekhar Azad Facts In Hindi-चन्द्र शेखर के बारे में रोचक तथ्य

1. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश में हुआ था।

2. बेखौफ अंदाज के लिए जाने जाने वाले चंद्रशेखर सिर्फ 14 साल की उम्र में 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे।

3. गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन को अचानक बंद कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए। 

4. स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों मे से एक चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ में हुआ था। जहां आजाद का जन्म हुआ उस जगह को अब आजादनगर नाम से जाना जाता है। 

5. आजाद छोटी उम्र में ही आजादी की लड़ाई उतर गए थे। उन्होंने बचपन में ही निशानेबाजी सीख ली थी।




6. अपनी पहली सजा में आजाद को 15 कोड़े पड़े। आजाद की देशभक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर कोड़े पर उन्होंने वंदे मातरम के साथ-साथ महात्मा गांधी की जय के नारे लगाए। इसके बाद से ही उन्हें सार्वजनिक रूप से 'आजाद' पुकारा जाने लगा।

7. उनकी पहली सजा मिलने का किस्सा भी दिलचस्प है। कोर्ट में जब उनसे उनके बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने ऐसा जबाव दिया जिससे वहां बैठे अंग्रेज सकते में आ गए। उन्होंने अपना नाम आजाद बताया। पिता का नाम स्वतंत्रता और निवास स्थान के नाम पर जेल का नाम लिया। 

8. चौरा-चौरी घटना के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया तो आजाद समेत कई युवा क्रांतिकारी कांग्रेस ले अलग हो गए और अपना संगठन बनाया। संगठन का नाम हिन्दुस्तानी प्रजातान्त्रिक संघ रखा गया। इस संगठन में देश के नवयुवक क्रांतिकारियों को जोड़ा गया।

9. आजाद ने उसके बाद अन्य क्रांन्तिकारियों को लेकर सरकारी खजानों को लूटना शुरू कर दिया। अंग्रेजों ने भारत की जनता पर अत्याचार कर उनसे जो धन लूटा था वह इन्हीं खजानों में रखा जाता था। रामप्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद ने साथी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश खजाना लूटने और हथियार खरीदने के लिए ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती को अंजाम दिया। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया था। 

10. लाला लाजपत राय की मौत का बदला आजाद ने ही लिया था। आजाद ने लाहौर में अंग्रेजी पुलिस अधिकारी सॉन्डर्स को गोली से उड़ा दिया था। इस कांड से अंग्रेजी सरकार सकते में आ गई। आजाद यही नहीं रुके उन्होंने लाहौर की दिवारों पर खुलेआम परचे भी चिपकाए। परचों पर लिखा था कि लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला ले लिया गया है। 

11. आजाद ने कहा था कि वह आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे। वह कहते थे कि उन्हें अंग्रेजी सरकार जिंदा रहते कभी पकड़ नहीं सकती और न ही गोली मार सकती है। 

12. 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजी पुलिस ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में आजाद को चारों तरफ से घेर लिया। अंग्रेजों की कई टीमें पार्क में आ गई। आजाद ने 20 मिनट तक पुलिस वालों से अकेले ही लौहा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने साथियों को वहां से सुरक्षित बाहर भी निकाल दिया। जब उनके पास बस एक गोली बची तो उन्होंने उसे खुद को मार ली। क्योंकि उन्होंने संकल्प लिया था कि उन्हें कभी भी अंग्रेजी पुलिस जिंदा नहीं पकड़ सकती। 

13. जब आजाद ने गोली मारी तो भी अंग्रेजी पुलिस की उनके पास जाने की हिम्मत नहीं हुई। काफी देर बाद जब वहां से गोली नहीं चली तो अंग्रेजो थोड़ा आगे बढ़े। उनकी नजर आजाद के मृत शरीर पर पड़ी तो उन्हें होश में होश आया। अपनी अंतिम लड़ाई में आजाद ने अंग्रेजों की पूरी टीम के छक्के छुड़ा दिए थे। जिस पार्क में चंद्रशेखर आजाद हमेशा के लिए आजाद हो गए आज उस पार्क को चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है।

Wednesday, 26 June 2019

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Tuesday, 13 November 2018

Kunjaru samiti - कुंजरू समिति (डा: ह्रदयनाथ कुंजरू)

सन १९५९ में भारत सरकार दारा डा: ह्रदयनाथ कुंजरू की अध्यछ्ता में एक समिति का आयोजन किया गया |  इसका कार्य सरकार को शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन एवं विधार्थी अनुशासन जैसे विषयों पर सुझाव देना था ; जिससे कि इन विभिन्न विषयों पर उच्च रूप से ध्यान दिया जा सके | इस समिति ने भारत में गतिमान विभिन्न शारीरिक शिक्षा योजनाओ का अध्ययन किया तथा विभिन्न शिक्षाशास्त्रियो के विचारो को सुना |अन्त में सन १९६३ में इस समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की जिसकी कुछ सिफारिशे इस प्रकार है –


1; पाठशाला स्तर पर शारीरिक शिक्षा के पाठ्य विषय सभी के लिये अनिवार्य हो तथा कुछ ऐच्छिक कार्यक्रम विशेषज्ञो दारा बनाये जाये तथा ऐच्छिक कार्यक्रमों ; जैसे – स्काउटीग; पर्वतारोहण ; छेल ; नत्य ; नाटक ; तथा संगीत आदि विषयों में से अन्य का चयन विधार्थी स्वयं करे |

2;  एक बार जब मिला –जुला कार्यक्रम आरम्भ हो जाय तो ए. सी. सी., राष्ट्रीय अनुशासन योजनायें प्रथक रूप से कार्यान्वित की जाये |

3; जो प्रशिक्षक प्रारम्भिक पुरानी योजनाओ पर कार्य कर रहे है, उनकी सेवाए पुर्विकरण के उपरान्त इस कार्य को पूर्ण करने के लिये प्राप्त की जाये |

4; कालेज स्तर पर राष्ट्रीय केडिट कोर को मान्यता दी जाय |

5; स्काउटिग एव गलर्सा गाइड्स आदि परियोजनाओ को मान्यता दी जाय तथा इन्हें स्वेच्छ से अपनाया जाय |

6; विधालय की प्रात: सभा का कार्यक्रम राष्ट्रीय गीत से आरम्भ हो | 

7; प्रत्येक विधार्थी को राष्ट्रीय ध्वज चढ़ाना एव उतारना तथा उसे सलामी देना भी आना चाहिये |

8; विधार्थियों में पैदल चलना तथा सैर की रूचि का विकास भी करना चाहिये |


9; अन्तर विश्वविधालय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये छात्रो को प्रेरित किया जाना चाहिये | 

Tuesday, 6 November 2018

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